उपराष्ट्रपति बोले- जस्टिस वर्मा केस में तुरंत FIR की जरूरत:कैश कहां से आया, ये जानना जरूरी; जज के घर बोरियों में अधजले नोट मिले थे
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को जस्टिस वर्मा के घर में मिले अधजले नोटों के मामले में तुरंत FIR की बात कही। उन्होंने कहा- यह न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह हमारी न्यायपालिका की नींव को हिला देने वाला है। इस मामले की जड़ तक जाने की जरूरत है। कैश कहां से आया, ये जानना बहुत जरूरी है। केंद्र स्तर पर सरकार मजबूर है, क्योंकि 90 के दशक की शुरुआत में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण जस्टिस पर FIR दर्ज नहीं की जा सकती है। धनखड़ ने नेशनल एडवांस्ड लीगल स्टडीज (NUALS) यूनिवर्सिटी के सेमिनार में ये बातें कहीं। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। इसके बाद से ये सवाल खड़ा हुआ कि इतना कैश कहां से आया। उपराष्ट्रपति धनखड़ के संबोधन की खास बातें 14 मार्च को जज के घर मिले थे जले नोटों के बंडल जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी। उनके घर के स्टोर रूम जैसे कमरे में 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले। सवाल खड़ा हुआ कि इतना कैश कहां से आया। मामले ने तूल पकड़ा। 14 मार्च: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने यह मामला राज्यसभा में उठाया। उन्होंने न्यायिक जवाबदेही का मसला उठाते हुए सभापति से इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ महाभियोग के संबंध में लंबित नोटिस का जिक्र किया था। 22 मार्च: CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट चीफ जस्टिस से जस्टिस वर्मा को कोई भी काम न सौंपने को कहा था। 22 मार्च: देर रात सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के घर से 15 करोड़ कैश मिलने का वीडियो जारी किया। 65 सेकेंड के वीडियो में नोटों से भरी जली बोरियां दिखाई दे रही हैं। मामले के खुलासे के बाद से जस्टिस वर्मा खुद ही छुट्टी पर हैं। 21 मार्च: जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट होने का प्रस्ताव बनाया गया। जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का भी पक्ष रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का पक्ष भी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिस स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां मिलने की बात की जा रही है, वहां उन्होंने या उनके परिवार ने कभी कोई पैसा नहीं रखा। वो एक ऐसी खुली जगह है, जहां हर किसी का आना-जाना होता है। उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने इंटरनल इन्क्वायरी के बाद सुप्रीम कोर्ट को 21 मार्च को रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को ज्यूडिशियल काम देने से मना कर दिया है। अब जस्टिस वर्मा के 6 महीने की कॉल डिटेल्स की जांच की जाएगी। --------------------------------------------------- ये खबर भी पढ़ें..... कैश केस-स्टोर रूम पर जज परिवार का ही कंट्रोल था:जांच पैनल का प्रस्ताव जस्टिस वर्मा को हटाएं; 64 पेज की रिपोर्ट सामने आई जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से मिले कैश केस की जांच कर रहे पैनल की रिपोर्ट गुरुवार को सामने आई है। 64 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाईकोर्ट जज यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था। यहीं 14 मार्च की रात आग लगने के बाद बड़ी संख्या में अधजले नोट मिले थे। पूरी खबर पढ़ें...

उपराष्ट्रपति बोले- जस्टिस वर्मा केस में तुरंत FIR की जरूरत: कैश कहां से आया, ये जानना जरूरी; जज के घर बोरियों में अधजले नोट मिले थे
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लेखिका: प्रिया शर्मा, नूतन गुप्ता, टीम avpganga
परिचय
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में जस्टिस वर्मा के घर में मिले अधजले नोटों के संदर्भ में तत्काल FIR की आवश्यकता की बात की है। इस मामले ने न केवल न्यायपालिका पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी जानने की जरूरत को सामने रखा है कि आखिर इतने पैसों का स्रोत क्या है। धनखड़ ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा नेशनल एडवांस्ड लीगल स्टडीज (NUALS) यूनिवर्सिटी के सेमिनार में उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह घटना हमारी न्यायपालिका की नींव को हिला सकती है।
जस्टिस वर्मा का मामला
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च को आग लगी थी। इस आग के बाद उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के अधजले नोटों से भरी बोरियां बरामद की गईं। इस मामले ने सभी को चौंका दिया, और यह सवाल उठने लगा कि इतनी बड़ी मात्रा में नकद राशि कहाँ से आई?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया, जिसमें उन्होंने न्यायिक जवाबदेही का मुद्दा उठाया और देश की सर्वोच्च न्यायपालिका की स्थिति पर पुनर्विचार की आवश्यकता जताई। इसके बाद, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले में आंतरिक जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया।
जस्टिस वर्मा का पक्ष
जस्टिस वर्मा ने अपने पक्ष में कहा कि जिस जगह नोटों की गड्डियां मिली हैं, वहाँ उन्होंने या उनके परिवार ने कभी भी कोई पैसा नहीं रखा। उनका कहना था कि यह एक ऐसा स्थान है जहाँ हर किसी का आना-जाना होता है और उन्हें इस मामले में गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की एक रिपोर्ट ने जस्टिस वर्मा के विरुद्ध लगे आरोपों की जांच के दौरान और भी साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल न्यायपालिका की स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के समक्ष उठाए गए प्रश्नों को भी तूल देता है। उपराष्ट्रपति धनखड़ का यह बयान इस बात का संकेत है कि इस मामले की गहराई से जांच की जानी चाहिए और क्या इसे सही संसाधनों द्वारा पर्दाफाश किया जा सकता है। अगर सचाई सामने नहीं आती है, तो न्यायपालिका पर आम जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है। केंद्रीय सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह इस प्रकरण को सुलझाते हुए न्यायिक प्रत्रता का पालन करे। आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा रहेगी।
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